आमेर बारित गे

आमेर बारित गे

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🌿 सुरजापुरी लोकगीत: “आमेर बारित गे” – एक भावनात्मक प्रेम संवाद 🌿
Lyrics: Taraknath Bosak | Surjapuri Folk Song


🎶 परिचय – प्रेम और प्रतीक्षा का गीत

“आमेर बारित गे” एक सुरजापुरी प्रेमगीत है, जिसमें आम के बागान की छांव तले दो दिलों की कहानियाँ गूंजती हैं। यह गीत प्रतीक्षा, तकरार और मोहब्बत के उन पलों को दर्शाता है जहाँ “आमेर का बारित” सिर्फ एक स्थान नहीं, बल्कि भावना का प्रतीक बन जाता है।


🍃 पहला संवाद – प्रेमी की उम्मीद

👉 लड़का बोलता है:

“आमेर बारित गे, गे सन बहिन आमेर बारित गे” (2 बार)
“ती करिस मोर इंतज़ार आमेर बारित गे” (2 बार)

💬 भावार्थ: प्रेमी आम के पेड़ों के नीचे इंतजार कर रहा है और आशा करता है कि उसकी प्रेमिका वहाँ उसका इंतजार कर रही होगी।


🌸 दूसरा संवाद – प्रेमिका का इनकार
👉 लड़की जवाब देती है:

“आमेर बारित रे, रे सन भई आमेर बारित रे” (2 बार)
“ती करिस ना मोर इंतज़ार आमेर बारित रे” (2 बार)

💬 भावार्थ: लड़की साफ कहती है कि वह वहाँ नहीं थी, और उसने इंतजार नहीं किया।


🌿 प्रेमी का कल्पना लोक – झूला, गीत और बगिया

👉 लड़का आगे कहता है:

“तोर ताने आमेर गाछित झुला मी बनामु,
तोर संहे आमेर गाछित झुला झूली खेलमु” (2 बार)

“बग्लित बोठे तोक प्रेमेर गीत मी सुनाम गे”
“ती करिस मोर इंतज़ार आमेर बारित गे” (2 बार)

💬 भावार्थ: लड़का उसे एक खूबसूरत भविष्य का सपना दिखाता है – झूला, गीत और प्रेम से भरी बगिया।


💔 लड़की की उलाहना – रिश्ते की हकीकत

👉 लड़की ताना देती है:

“रोज रोज मिलूं तोसे कन्हे रे सन भई,
रहाल नि जाहक त ती करेले सगाई” (2 बार)

“हैनु मी जवान तोसे कबतक मिलूम रे”
“आर करिस ना मोर इंतज़ार आमेर बारित रे”
“ती करिस ना मोर इंतज़ार आमेर बारित रे”

💬 भावार्थ: प्रेमिका अब थक चुकी है। वह कहती है कि हर दिन मिलने से रिश्ते को नाम नहीं मिलता। उसने अपने भविष्य की चिंता में मिलना बंद कर दिया।


🏡 प्रेमी की अंतिम कोशिश – जीवनसाथी का सपना

👉 लड़का भावुक होकर कहता है:

“तोर ताने तोर अंगनात बारात नेय जामु,
आमेर गाछिर बोगलोत छोट्ट घोर बनामु” (2 बार)

“फेर नि चलबे सन बहिन कोई बहाना गे”
“ती करिस मोर इंतज़ार आमेर बारित गे” (2 बार)

💬 भावार्थ: प्रेमी अब रिश्ते को मंजिल देने की बात करता है – वह कहता है कि बारात लेकर आएगा और आम के बागान के पास घर बसाएगा।


🎤 गीत का सार – इंतजार और इरादा

यह गीत सुरजापुरी संस्कृति की मिठास, ग्रामीण प्रेम की सहजता और लोक भावनाओं की सच्चाई को बयां करता है। “आमेर बारित” प्रतीक बन जाता है उस जगह का जहाँ दिल मिलते हैं, वादे किए जाते हैं, और कभी-कभी अधूरे भी रह जाते हैं।

🎶 आमेर बारित गे – एक सुरजापुरी लोकगीत

Lyrics: Taraknath Bosak


🎤 लड़का

आमेर बारित गे, गे सन बहिन आमेर बारित गे (×2)
ती करिस मोर इंतज़ार, आमेर बारित गे (×2)


🎤 लड़की

आमेर बारित रे, रे सन भई आमेर बारित रे (×2)
ती करिस ना मोर इंतज़ार, आमेर बारित रे (×2)


🎤 लड़का

तोर ताने आमेर गाछित झुला मी बनामु
तोर संहे आमेर गाछित झुला झूली खेलमु (×2)
बग्लित बोठे तोक प्रेमेर गीत मी सुनाम गे
ती करिस मोर इंतज़ार, आमेर बारित गे (×2)


🎤 लड़की

आमेर बारित रे, रे सन भई आमेर बारित रे (×2)
ती करिस ना मोर इंतज़ार, आमेर बारित रे (×2)


🎤 लड़की

रोज रोज मिलूं तोसे कन्हे रे सन भई
रहाल नि जाहक त ती करेले सगाई (×2)
हैनु मी जवान, तोसे कबतक मिलूम रे
आर करिस ना मोर इंतज़ार, आमेर बारित रे
ती करिस ना मोर इंतज़ार, आमेर बारित रे


🎤 लड़की (दोहराव)

आमेर बारित रे, रे सन भई आमेर बारित रे (×2)
ती करिस ना मोर इंतज़ार, आमेर बारित रे


🎤 लड़का

ती करिस मोर इंतज़ार, आमेर बारित गे


🎤 लड़का

तोर ताने तोर अंगनात बारात नेय जामु
आमेर गाछिर बोगलोत छोट्ट घोर बनामु (×2)
फेर नि चलबे सन बहिन कोई बहाना गे
ती करिस मोर इंतज़ार, आमेर बारित गे (×2)


🎤 लड़की (अंतिम बार)

आमेर बारित रे, रे सन भई आमेर बारित रे (×2)
ती करिस मोर इंतज़ार, आमेर बारित रे


🎤 लड़का (अंतिम पंक्ति)

ती करिस मोर इंतज़ार, आमेर बारित गे

2 thoughts on “आमेर बारित गे”

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