🏡 “तोर घोर कुनाह गे – एक खुदी बताय द” Surjapuri Lok-Geet | Lyrics: Sudhir Singha
एक दिलचस्प सवाल – “तोर घोर कुनाह?”
तोर घोर कुनाह गे
🏡 “तोर घोर कुनाह गे – एक खुदी बताय द”
Surjapuri Lok-Geet | Lyrics: Sudhir Singha
🌟 परिचय: एक दिलचस्प सवाल – “तोर घोर कुनाह?”
इश्क़ का कोई फॉर्म नहीं होता, कोई पता नहीं होता — लेकिन जब दिल लग जाता है, तब पहला सवाल होता है — “तोर घोर कुनाह गे?”
यह गीत एक ऐसे देसी लड़के की कहानी है जो लड़की के प्यार में डूबा है और बस उसके घर का पता पूछता फिर रहा है — पर लड़की जवाब देने की बजाय सिर्फ़ चप्पल की धमकी देती है 😄
🤭 जब लड़का पूछे – ‘तोर घर कहां?’ और लड़की दे चप्पल की चेतावनी!
लड़का:
“तोर घोर कुनाह गे बोल नि एक खुदी
बैसी, फुलवरिया, रौटा, कोचाधामन…”
लड़की:
“चप्पल खान दाखोहिस, गालडात लागामकु
एक चप्पल नि 6 नमबरेर छाप उठे जातोक”
गीत की शुरुआत मजेदार है — लड़का पूछता है तो लड़की जवाब की जगह ‘चप्पल’ दिखा देती है! यह सीमांचल क्षेत्र की भाषा शैली में हँसी-ठिठोली भरा संवाद है।
❤️ “तोहार सूरत बढ़िया लागल… तोहके कन्या बनाय चाही”
“मोक बढ़िया लागले गे तोड़ सूरत,
मोर घरोत छे गे तोड़ जरुरत,
सोचोही तोहके बनाम मि कन्या गे”
लड़का अब अपनी भावनाएं खुलकर व्यक्त करता है। वो सिर्फ़ देखना नहीं चाहता, अब रिश्ता बनाना चाहता है।
🚫 लड़की बोले – रिश्ता ना, नाता ना… पीछा छोड़!
“रिश्ता ना जोर, नाता ना जोड़,
कैसा रे ती छोड़ा, मोर पीछा छोड़”
काफी सधी हुई प्रतिक्रिया है लड़की की। वो लड़के की शायरी और शराफत को भी हल्के में लेती है और सीधे तौर पर इनकार कर देती है।
📍 अब तो लोकेशन की बहस शुरू हो जाती है!
लड़की बताती है:
“मोर नानिर घोर गंगी, मौसी दिघलबैंक,
फुफार घोर ठाकुरगंज, मोर चाचा दरोगा किशनगंज”
और लड़का बार-बार कहता है:
“तोर घोर कुनाह ई ते बता, ती दे जल्दी तोर घोरेर पता”
🌾 सीमांचल की बेटी – अपनी ज़मीन पर अडिग!
“सीमांचलेर मि लड़की, मोक कुनाह ने जाबो ती”
लड़की साफ़ कर देती है कि वो सीमांचल की बेटी है और बिना मंजूरी कहीं भी नहीं जाती।
यह संवाद संस्कृति, स्वाभिमान और परंपरा की खूबसूरत झलक है।
🎶 गीत के बोल (Surjapuri Full Lyrics):
🧑 लड़का:
तोर घोर कुनाह गे, बोल नि एक खुदी (×2)
बैसी, फुलवरिया, रौटा, कोचाधामन,
बहादुरगंज, तुलसिया, दिघलबैंक, ने गंगी गे
👩 लड़की:
चप्पल खान दाखोहिस, गालडात लागामकु
एक चप्पल नि 6 नमबरेर छाप उठे जातोक
🧑
मोक बढ़िया लागले गे तोड़ सूरत,
मोर घरोत छे गे तोड़ जरुरत
सोचोही तोहके बनाम मि कन्या गे
🧑
राउटात छे मामू, छोटकी मौसिर घोर छे गे बाइसी
👩
रिश्ता ना जोर, नाता ना जोड़,
कैसा रे ती छोड़ा, मोर पीछा छोड़
👩
मोर नानिर घोर गंगी, मौसी दिघलबैंक,
फुफार घोर ठाकुरगंज, मोर चाचा दरोगा रोहछे किशनगंज
🧑
तोर घोर कुनाह ई ते बता, ती दे जल्दी तोर घोरेर पता
👩
सीमांचलेर मि लड़की, मोक कुनाह ने जाबो ती
🧑
तोक सब पता, घोर नि पता
चल बेसी नखरा ना दखा, गरीरात बोठ
तोक तोर घर छोड़े वोसोही
🧑
बात ला ना घुमा, मोर गरीत बोठेक ना
तोर घोर ने जाम, तोक रस्ता दखा
किशनगंजेर ना बहादुरगंजेर ती
👩
सीमांचलेर मि लड़की, मोक कुनाह ने जाबो ती
🧑
तोर घोर कुनाह गे, बोल नि एक खुदी (×2)
👩
मोर घोर कुनाह रे, थाम नि एक खुदी
👫 अंतिम लाइन (कोरस):
हु…. हु…. हु…. ला…. ला…. ला….
📌 निष्कर्ष:
“तोर घोर कुनाह गे” एक देसी-सुरजापुरी कॉमेडी रोमांस गीत है जिसमें संवाद, ठिठोली, देहात की खुशबू और सीमांचल की बोली – सब कुछ एकसाथ मिलती है।
Sudhir Singha के शब्दों में देसी प्रेम का जो अंदाज है, वो दिल को छूता ही नहीं — मनोरंजन भी कराता है।
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