सुन रे अक्षय सूरजपुरी

सुन रे अक्षय सूरजपुरी

🌸 भूमिका – एक देसी दिल की बात

सुरजापुरी लोकसंस्कृति में रचे-बसे इस गीत में गांव की एक लड़की और लड़के के बीच का भावनात्मक संवाद है। जहां एक तरफ लड़की अपने प्यार के लिए बेझिझक सबकुछ छोड़ने को तैयार है, वहीं दूसरी तरफ लड़का अपनी गरीबी और संघर्षों का वास्ता देकर उसे सोचने को कहता है। फिर भी, इस मोहब्बत में डिजिटल दौर की झलक भी नजर आती है — YouTube, Instagram और Facebook का जिक्र इसे खास बनाता है।


💬 बोलों में प्रेम की पुकार | Bol: Sun Re Akshay Surjapuri…

👧 लड़की की पुकार:

“सुन रे अक्षय सूरजपुरी मोर मान निछे कोय छुड़ी…”

लड़की अपने प्रेमी से कहती है कि अब मान-अपमान की बात नहीं,
अब दूरियों को खत्म कर शादी कर ही लो।

➤ दुहराव (Repeat):

CopyEditबेहा करें, खत्म करें ले इखान दुरी  
सुन रे अक्षय सूरजपुरी, मोर मान निछे कोय छुड़ी

👦 लड़के का जवाब:

“ती गे कन्या कुमारी, मोर निछे पैसा कोड़ी…”

लड़का कहता है कि वह अमीर नहीं है, हीरो जैसा भी नहीं दिखता।
मेहनत मजदूरी ही उसकी पहचान है।

➤ दुहराव:

CopyEditमोर हीरो गिरित ना जईस गे, मी करोहि मजदूरी

🌐 डिजिटल प्यार का दौर:

👧 लड़की के बोल:
“यूट्यूबोत फेसबुकोत दखे बने गहि तोर दीवानी…”

लड़की कहती है कि वह उसे यूट्यूब और फेसबुक पर देखकर दीवानी हो गई है।
Instagram की रीलों से उसे उसके प्यार की पहचान है।

➤ दुहराव:

CopyEditइंस्टाग्रामेर रील ला दखे, हाथोत छे तोर निशानी

🎓 लड़का फिर समझाता है:

“तोर अभी चढ़ती जवानी, कत्ते बनाबो ती निशानी…”

वो कहता है कि तुम तो अभी जवान हो, पढ़ो-लिखो और मास्टरनी बनो।


🍛 गरीब का प्यार, पर सच्चा प्यार:

👦 लड़का:
“बेहा करें खाबो ती पंता भात आर मरचीन गे…”

शादी के बाद जीवन सादा होगा — भात (चावल), नमक और मिर्च।

“कपड़ा लत्ता पाम नी, दुबा कंन्हे रोहबो संगहे गे”

कपड़ा और साधन नहीं होंगे, लेकिन प्यार में साथ होगा।

👧 लड़की का जवाब:
“कपड़ा लत्ता लागबे निरे, नमक रोटी खाम रे…”

उसे कपड़े की नहीं, सिर्फ प्यार की भूख है।
ब्यूटी प्रोडक्ट भी ज़रूरी नहीं, बस साथ चाहिए।


💰 कमाई और उम्मीद:

👦 लड़का:
“कमाहि तीन सौ टाका दिहारी, सालडोत पीहनाम एक खान सारी…”

वह दिनभर की मज़दूरी से तीन सौ रुपए कमाता है।
लेकिन शादी के बाद एक साड़ी जरूर लाएगा।

“जल्दी खत्म करें दिमू इखन दुरी”

अब और दूरी नहीं चाहिए — शादी के लिए तैयार है।


❤️ प्रेम की अंतिम मंज़िल – कबूल है!

👧 लड़की:
“Love you मेरे बाबू सोना
नी चाही मोक चांदी सोना
ती मोर होबो ना?”

👦 लड़का:
“हाँ हाँ गे कन्याकुमारी!”

अंत में प्रेमी और प्रेमिका दोनों एक-दूसरे को अपना लेते हैं।
मोहब्बत जीत जाती है, हालातों से ऊपर उठ जाती है।


📌 निष्कर्ष – एक देसी डिजिटल लव स्टोरी

सुन रे अक्षय सूरजपुरी” एक सजीव प्रमाण है कि आज भी ग्रामीण भारत में सच्चे प्रेम की भावना ज़िंदा है, चाहे हालात जैसे भी हों। Sudhir Singha की लेखनी ने इसमें लोकभाषा, डिजिटल युग और सामाजिक यथार्थ का सुंदर समावेश किया है।


🎧 इस गीत को सुनें और दिल से महसूस करें!

(अगर यह गाना किसी YouTube चैनल या प्लेटफॉर्म पर है तो आप उसका लिंक जोड़ सकते हैं)

🎶 गीत के बोल – “सुन रे अक्षय सूरजपुरी”

✍️ Lyrics: Sudhir Singha
🎤 Language: Surjapuri


👧 लड़की के बोल:

सुन रे अक्षय सूरजपुरी मोर मान निछे कोय छुड़ी
बेहा करें, खत्म करें ले इखान दुरी (×2)


👦 लड़के के बोल:

ती गे कन्या कुमारी, मोर निछे पैसा कोड़ी
मोर हीरो गिरित ना जईस गे, मी करोहि मजदूरी (×2)


👧 लड़की के बोल:

यूट्यूबोत फेसबुकोत दखे बने गहि तोर दीवानी (×2)
इंस्टाग्रामेर रील ला दखे, हाथोत छे तोर निशानी


👦 लड़का के बोल:

तोर अभी चढ़ती जवानी, कत्ते बनाबो ती निशानी
पढ़े लिखे बनेक गे ती मास्टरनी

👧 (दोह़राव)
सुन रे अक्षय सूरजपुरी मोर मान निछे कोय छुड़ी
बेहा करें, खत्म करें ले इखान दुरी (×2)


👦 लड़के के बोल:

बेहा करें खाबो ती पंता भात आर मरचीन गे
कपड़ा लत्ता पाम नी, दुबा कंन्हे रोहबो संगहे गे


👧 लड़की के बोल:

कपड़ा लत्ता लागबे निरे, नमक रोटी खाम रे
नी लगाम रे अलता पाउडर, मुखोत कोय क्रीम रे (×2)


👦 लड़के के बोल:

कमाहि तीन सौ टाका दिहारी
सालडोत पीहनाम एक खान सारी
जल्दी खत्म करें दिमू इखन दुरी


👧 लड़की (अंतिम बोल):

सुन रे अक्षय सूरजपुरी मोर मान निछे कोय छुड़ी (×2)
बेहा करें, खत्म करें ले इखान दुरी


👧 लड़की (प्रेम का इज़हार):

Love you मेरे बाबू सोना
नी चाही मोक चांदी सोना
ती मोर होबो ना?


👦 लड़का (प्रेम की स्वीकारोक्ति):

हाँ हाँ गे कन्याकुमारी!

https://sudhirsingha.blogspot.com/?zx=798396b6baefc770

https://sudhirsingha.com/sudhir-singha-blog

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