मोर हर सांसोत

मोर हर सांसोत

🌸 सुरजापुरी प्रेम गीत: “मोर हर सांसोत गे रानी लिखाल छे तोर नाम”
✍️ गीतकार: सुधीर सिंघा


💕 प्रस्तावना: दिल से दिल तक — एक अमर प्रेम की गाथा

सुरजापुरी भाषा में रचा गया यह मधुर प्रेम गीत एक सच्चे और समर्पित प्यार की कहानी बयाँ करता है। लड़का और लड़की दोनों अपनी भावनाओं को बड़ी खूबसूरती से शब्दों में पिरोते हैं — जहाँ हर सांस में बस एक-दूजे का नाम बसा है। गीतकार सुधीर सिंघा के दिल से निकले शब्द सीधे दिल तक पहुंचते हैं।


🎶 मुखड़ा: सांसों में बसा तेरा नाम

👦 लड़का:
“मोर हर सांसोत गे रानी लिखाल छे तोर नाम
तोर बिना गे रानी जिबा नि पाम”

👧 लड़की:
“मोर हर सांसोत रे राजा लिखाल छे तोर नाम
तोर बिना रे राजा जिबा नि पाम”

💌 भावार्थ:
दोनों प्रेमी यह स्वीकार करते हैं कि उनका जीवन केवल एक-दूसरे की मौजूदगी से ही पूर्ण है। उनके हर सांस में सिर्फ अपने प्रेमी का नाम बसा है।


रूप का जादू और दिल की डोर

👦 लड़का:
“तोर रुपेर जादू रानी दिलोत चले गेल गे
दिल मोर फिदा रानी तोर है गेल गे”

💖 भावार्थ:
लड़का कहता है कि लड़की की सुंदरता ने उसके दिल को पूरी तरह से जीत लिया है।


🧡 सिंदूर की आस और समर्पण की बात

👧 लड़की:
“तोर नामेर सिन्दूर राजा मान्गोत मी सजाम
तोक नि पाले राजा मी मरे जाम”

💍 भावार्थ:
लड़की अपनी पूरी आस्था और प्रेम से कहती है कि वह केवल अपने प्रेमी के नाम का सिंदूर चाहती है — और उसके बिना जीना असंभव है।


🤝 साथ निभाने का वादा

👧 लड़की:
“जालिम रे दुनिया राजा साथ मोर न छोरिस
हाथेर पोर हाथ राखे सिनात लगाय राखिस”

🌹 भावार्थ:
लड़की अपने प्रेमी से वादा चाहती है कि वो दुनिया के किसी भी तूफान के बीच उसका साथ न छोड़े, और जीवनभर उसका हाथ थामे रखे।


🖼️ पहला और आखिरी प्यार

👦 लड़का:
“तिहे पहला प्यार रानी तिहे आखिरी गे
मोर आंखोत दखेले तोर तस्बिर गे”

👧 लड़की:
“पालकोत मी बोठय राखुम तोक सुबह शाम
तोर बिना रे राजा जिबा नि पाम”

💫 भावार्थ:
उनके प्रेम की परिभाषा यही है — पहला प्यार, आखिरी प्यार, और हर लम्हा एक-दूजे के ख्यालों में डूबा हुआ।


🎵 पुनरावृत्ति: सांसों में वही नाम

👦 लड़का:
“मोर हर सांसोत गे रानी लिखाल छे तोर नाम
तोर बिना गे रानी जिबा नि पाम”

👧 लड़की:
“मोर हर सांसोत रे राजा लिखाल छे तोर नाम
तोर बिना रे राजा जिबा नि पाम”

🎀 भावार्थ:
गीत का अंत भी उसी भाव से होता है — जहाँ हर सांस, हर धड़कन में केवल “वो” है।


🎧 निष्कर्ष:

यह सुरजापुरी प्रेम गीत न केवल भावनाओं से भरपूर है, बल्कि एक सच्चे प्रेम की शक्ति और गहराई को भी दर्शाता है। सुधीर सिंघा की लेखनी में लोक भाषा का सौंदर्य, प्रेम का तीव्र एहसास और एक मधुर संगीत की आत्मा झलकती है।

🎶 सुरजापुरी प्रेम गीत – मोर हर सांसोत गे रानी

✍️ गीतकार: सुधीर सिंघा
💞 भाषा: सुरजापुरी
🎤 प्रेम संवाद शैली में – लड़का और लड़की दोनों के स्वर में


👦 लड़का:

मोर हर सांसोत गे रानी, लिखाल छे तोर नाम
तोर बिना गे रानी, जिबा नि पाम


👧 लड़की:

मोर हर सांसोत रे राजा, लिखाल छे तोर नाम
तोर बिना रे राजा, जिबा नि पाम


👦 लड़का:

तोर रुपेर जादू रानी, दिलोत चले गेल गे
दिल मोर फिदा रानी, तोर है गेल गे


👧 लड़की:

तोर नामेर सिन्दूर राजा, मान्गोत मी सजाम
तोक नि पाले राजा, मी मरे जाम


👧 लड़की (पुनः):

मोर हर सांसोत रे राजा, लिखाल छे तोर नाम
तोर बिना रे राजा, जिबा नि पाम


👧 लड़की:

जालिम रे दुनिया राजा, साथ मोर न छोरिस
हाथेर पोर हाथ राखे, सिनात लगाय राखिस


👦 लड़का:

तिहे पहला प्यार रानी, तिहे आखिरी गे
मोर आंखोत दखेले, तोर तस्बिर गे


👧 लड़की:

पालकोत मी बोठय राखुम, तोक सुबह शाम
तोर बिना रे राजा, जिबा नि पाम


👦 लड़का (अंत में):

मोर हर सांसोत गे रानी, लिखाल छे तोर नाम
तोर बिना गे रानी, जिबा नि पाम


👧 लड़की (अंत में):

मोर हर सांसोत रे राजा, लिखाल छे तोर नाम
तोर बिना रे राजा, जिबा नि पाम

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